राष्ट्रीय सर्वेक्षण और मानचित्रण एजेंसी (एनएमए) से समकालीन भारत में स्वयं को फिर से पुनर्गठित करने का आह्वान किया
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); राज्य मंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन मंत्रालय, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सर्वेक्षण अधिकारियों से एकीकृत प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए कहा है और आह्वान किया है कि वे राष्ट्रीय सर्वेक्षण और मानचित्रण एजेंसी (एनएमए) से खुद को समकालीन भारत में पुन: व्यवस्थित और पुनर्गठित करें ।
उन्होंने सर्वेक्षण अधिकारियों को अपनी अब तक की पारम्परिक कार्यशैली से हटकर अन्य संबंधित विभागों जैसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो –आईएसआरओ ), भारतीय मौसम विभाग ( आईएमडी ), पृथ्वी विज्ञान में महासागर प्रौद्योगिकी आदि के साथ निकट सहयोग एवं समन्वय में काम करने के लिए कहा ताकि वे ऐसे अधिक उपयोगी और लागत प्रभावी परिणाम उत्पन्न करने में सक्षम हो सकें, जो कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की प्राथमिकताओं के अनुरूप हैं ।
आज यहां विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय सर्वेक्षण और मानचित्रण एजेंसी (एनएमए) के राष्ट्रीय मुख्यालय के दौरे के समय डॉ जितेंद्र सिंह, जो कि एनएमए के प्रभारी मंत्री भी हैं, ने कहा कि भारतीय सर्वेक्षण एजेंसी की अपनी 250 वर्ष से अधिक पुरानी विरासत है। उन्होंने याद दिलाया कि इसे देश के भौगोलिक क्षेत्र का पता लगाने और त्वरित तथा एकीकृत विकास के लिए आधारभूत मानचित्र उपलब्ध कराने के लिए 1767 ईस्वी में स्थापित किया गया था।
तथापि मंत्री महोदय ने कहा कि ने 2014 में नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभालने के बाद भारत के तकनीकी दृष्टिकोण ने नई और बड़ी छलांग लगाई है तथा जिसका असर सर्वेक्षण की प्रक्रिया के तरीके पर भी पड़ता है और इसलिए हम सब की यह जिम्मेदारी है कि पिछले सात वर्षों में शुरू किए गए तथा पेश किए गए नए तकनीकी नवाचारों के युग के अनुरूप नए ढंग से काम करें ।
मंत्री महोदय ने संयुक्त कार्य बल (टास्क फोर्स) के माध्यम से पहल करने के लिए सभी विज्ञान मंत्रालयों और विभागों के प्रतिनिधियों के साथ एनएमए के अधिकारियों की एक संयुक्त बैठक आयोजित करने का निर्देश जारी किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को श्रेय देते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा,कि पहली बार इस सरकार ने प्रत्येक भारतीय घर में प्रौद्योगिकी को पहुंचाने की शुरुआत की है और हर क्षेत्र में विकास परियोजनाओं के साथ-साथ आम नागरिकों के लाभ के लिए अपने अनुप्रयोगों का विस्तार किया है। विभिन्न वैज्ञानिक नवाचारों के एकीकरण और हमारी तकनीकी प्रगति में भारी उछाल का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आज जिम्मेदारी न केवल सर्वेक्षणों के संचालन में साझेदारी और तंत्र के माध्यम से भू-स्थानिक ज्ञान तथा बुद्धि के उपयोग को बढ़ावा देने की है, बल्कि इस कार्य में सभी हितधारकों के साथ-साथ समाज के सभी वर्गों को भी शामिल किए जाने की भी है ।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने 15 फरवरी 2021 के बाद हुई प्रगति की भी समीक्षा कीI तब मोदी सरकार ने भू-स्थानिक डेटा और भू-स्थानिक सेवाओं को मानचित्रों सहित प्राप्त करने और उनका उत्पादन करने का ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया था। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य सामान्य नागरिकों, संगठनों, कंपनियों, सरकारी एजेंसियों और अन्य संबंधित सभी हितधारकों के लिए अधिक आसानी से भारत के क्षेत्र के भीतर भू -स्थानिक डेटा और मानचित्रों को एकत्र करना, उत्पन्न करना, तैयार करना, उनका प्रसार करना, भंडारण करना, प्रकाशित करना, अद्यतन करना और डिजिटल बनाना है ।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भू-स्थानिक डेटा को उदार और लोकतांत्रिक बनाने के लिए आगे बढ़ा है, तो अब हम सभी के सामने जिम्मेदारी यह है कि सभी सर्वेक्षण करने वाली संस्थाएं इसके लिए कैसे सबसे अच्छे और व्यावहारिक रूप से कार्य करें तथा ऐसे तरीके विकसित भी करें, जो समय की बचत करने वाले, लागत प्रभावी और आम नागरिक के लिए सुविधाजनक हों।
मंत्री महोदय ने जोर देकर कहा कि भारतीय सर्वेक्षण को यथासंभव तेजी से खुद को पुनर्गठित और व्यवस्थित करना होगा तथा इसके अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। इस अवसर पर सर्वेक्षण महानिदेशक नवीन तोमर ने एक बिन्दुवार प्रस्तुतीकरण भी मंत्री महोदय के समक्ष रखा ।
PIB Delhi