आधार विजन 2032: डिजिटल पहचान के भविष्य की दिशा

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने बदलते तकनीकी और नियामकीय परिवेश को ध्यान में रखते हुए, ‘आधार विजन 2032’ नामक एक नई रणनीतिक रूपरेखा के माध्यम से अगले दशक के लिए आधार प्रणाली के विकास की व्यापक समीक्षा शुरू की है।

यह दूरदर्शी पहल आधार की तकनीकी संरचना को सुदृढ़ करने, नवाचारों को समाहित करने और भारत के डिजिटल पहचान मंच को अधिक सुरक्षित, समावेशी और भविष्य के लिए तैयार बनाने पर केंद्रित है। यूआईडीएआई का टेक्नोलॉजिकल स्टैक, जो आधार सेवाओं की रीढ़ है और देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था को गति देता है, अब एक बड़े तकनीकी उन्नयन की ओर अग्रसर है।

इस परिवर्तन को दिशा देने हेतु यूआईडीएआई के अध्यक्ष श्री नीलकंठ मिश्रा की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है। यह समिति शिक्षा, उद्योग और प्रशासन के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों को साथ लाकर आधार के नवाचार पथ को रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान करेगी।

समिति में शामिल प्रमुख सदस्य हैं:

  • श्री भुवनेश कुमार, सीईओ, यूआईडीएआई
  • श्री विवेक राघवन, सह-संस्थापक, सर्वम एआई
  • श्री धीरज पांडे, संस्थापक, नूतनिक्स
  • श्री शशिकुमार गणेशन, प्रमुख इंजीनियरिंग, एमओएसआईपी
  • श्री राहुल मत्थान, पार्टनर, ट्राइलीगल
  • श्री नवीन बुद्धिराजा, सीटीओ एवं उत्पाद प्रमुख, वियानाई सिस्टम्स
  • डॉ. प्रभाकरन पूर्णचंद्रन, प्रोफेसर, अमृता विश्वविद्यालय
  • प्रो. अनिल जैन, मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी
  • प्रो. मयंक वत्स, आईआईटी जोधपुर
  • श्री अभिषेक कुमार सिंह, उप महानिदेशक, यूआईडीएआई

यह समिति ‘आधार विजन 2032’ दस्तावेज तैयार करेगी, जिसमें डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDP) और वैश्विक गोपनीयता व साइबर सुरक्षा मानकों के अनुरूप अगली पीढ़ी के आधार ढांचे की रूपरेखा प्रस्तुत की जाएगी।

इस विजन के तहत यूआईडीएआई अत्याधुनिक तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन, क्वांटम कंप्यूटिंग, उन्नत एन्क्रिप्शन और अगली पीढ़ी के डेटा सुरक्षा उपायों को अपनाने पर ध्यान केंद्रित करेगा। इसका उद्देश्य आधार को साइबर खतरों के प्रति लचीला, डिजिटल बदलावों के अनुरूप और भविष्य की आवश्यकताओं के लिए तैयार बनाना है।

यह पहल यूआईडीएआई की तकनीकी उत्कृष्टता, नवाचार और जन विश्वास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। ‘विजन 2032’ का रोडमैप न केवल भारत को डिजिटल नेतृत्व प्रदान करेगा, बल्कि आधार को एक सुरक्षित, समावेशी और नागरिक-केंद्रित डिजिटल पहचान प्रणाली के रूप में और अधिक सशक्त बनाएगा।