मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए भारत की तैयारियों को मजबूत करने हेतु बेंगलुरु में सीएसआईआर–इसरो स्पेस सम्मेलन 2025 आयोजित किया गया

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने संयुक्त रूप से बेंगलुरु में “CAIR–ISRO स्पेस सम्मेलन 2025” का आयोजन किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए बहुविषयक अनुसंधान, तकनीकी विकास और संस्थागत सहयोग को एक मंच पर लाना था। कार्यक्रम का आयोजन CSIR–नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरीज़ (CSIR–NAL) द्वारा किया गया।

स्वागत भाषण में CSIR की महानिदेशक एवं DSIR सचिव डॉ. एन. कलाईसेल्वी ने संगठन के वैज्ञानिक एवं तकनीकी योगदानों को रेखांकित करते हुए कहा कि यह सम्मेलन वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, अंतरिक्ष यात्रियों और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के बीच ज्ञान-साझाकरण का महत्वपूर्ण अवसर है। उन्होंने स्वदेशी नवाचार और सहयोगात्मक अनुसंधान के प्रति भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया तथा राष्ट्रीय वैज्ञानिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के मार्गदर्शन की सराहना की।

अंतरिक्ष विभाग (DoS) के सचिव एवं ISRO अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने अपने संबोधन में गगनयान कार्यक्रम के लिए विभिन्न मंत्रालयों, अनुसंधान संस्थानों, अकादमिक संगठनों और साझेदार एजेंसियों के सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने CSIR और भारत के अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र के योगदान की प्रशंसा करते हुए भविष्य की योजनाओं—चंद्रमा मिशन, मंगल अन्वेषण और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना—का उल्लेख किया।

CSIR–NAL के निदेशक डॉ. अभय ए. पाशिलकर ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए एयरोस्पेस और मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए आवश्यक तकनीकों एवं परीक्षण क्षमताओं को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई।

सम्मेलन में ESA अंतरिक्ष यात्री श्री जीन-फ्रैंकोइस क्लेरवॉय का विशेष वीडियो संदेश भी प्रसारित हुआ, जिसमें मानव अंतरिक्ष उड़ान में वैश्विक सहयोग और साझा वैज्ञानिक सीख की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

अनुभव-साझाकरण सत्रों में ISRO अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन प्रशांत बी. नायर ने प्रशिक्षण, सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण सिमुलेशन और परिचालन तत्परता पर अपने अनुभव साझा किए। भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने 1984 के सोयुज मिशन की यादें ताज़ा करते हुए NAL के योगदान की सराहना की। दोनों ने कहा कि भारत का मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम शांतिपूर्ण अन्वेषण और मानव-केंद्रित अनुसंधान पर आधारित है।

तकनीकी सत्रों में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने प्रस्तुतियाँ दीं, जिनमें मानव अंतरिक्ष उड़ान शरीर विज्ञान पर डॉ. लूसिया रोकारो (ESA), सहयोगात्मक अनुसंधान दृष्टिकोण पर डॉ. अकीको ओत्सुका (JAXA), और क्रू मिशन के लिए मानव-प्रौद्योगिकी इंटरफ़ेस डिज़ाइन पर प्रो. प्रदीप्त बिस्वास (IISc) शामिल थे।

सम्मेलन का समापन भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम को “विकसित भारत” की राष्ट्रीय दृष्टि के अनुरूप विज्ञान-तकनीक समन्वय, मिशन-आधारित अनुसंधान और बहु-एजेंसी सहयोग को सुदृढ़ करने के संकल्प के साथ हुआ।