रुड़की । आईआईटी रुड़की में सी-डेक द्वारा सुपर कम्प्यूटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर 1.66 को नेशनल सुपर कम्प्यूटिंग मिशन के अंतर्गत स्थापित किए जाने से विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बहुआयामी क्षेत्र में गति मिलेगी। इसका मुख्य उद्देश्य आईआईटी रुड़की और उसके आस-पास की शैक्षणिक संस्थाओं के उपभोक्ता वर्ग को कम्प्यूटेशनल पॉवर उपलब्ध करवाना है। यह विज्ञान और तकनीकी विभाग और इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का संयुक्त प्रयास है। इस राष्ट्रीय सुपरकम्प्यूटिंग सुविधा का उद्घाटन बीवीआर मोहन रेड्डी चेयरमैन बोर्ड ऑफ गवर्नर्स आईआईटी रुड़की ने प्रोफेसर एके चतुर्वेदी निदेशक आईआईटी रुड़की, डॉक्टर हेमंत दरबारी, मिशन डायरेक्टर एनएस, सुनीता वर्मा, प्रो. मनोरंजन परिदा, संजय वानढेकर आदि की उपस्थिति में किया गया। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रुड़की ने पूर्व में सेंटर फॉर डेवलपमेंट एडवांस कम्प्यूटिंग से एक ज्ञापन समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। जिसका उद्देश्य इस तरह की सुपर कम्प्यूटिंग सुविधाओं को मेक इन इंडिया के अंतर्गत उनके कंपोनेंट्स और क्रिटिकल कंपोनेंट्स जैसे कि सर्वर्स के मदरबोर्ड, डायरेक्ट कॉन्टेक्ट लिक्विड कूलिंग डाटा सेंटर्स जो कि भारत सरकार की पहल आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत निर्मित किए गए हैं। बीवीआर मोहन रेड्डी ने कहा कि आईआईटी रुड़की अपने विकसित अनुसंधान करने की क्षमता को सुपरकम्प्यूटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर जो कि एनएसएम के माध्यम से तैयार किया गया है। मदर बोर्ड्स और डायरेक्ट कॉन्टेक्ट लिक्विड कूलिंग डाटा सेंटर्स को भारत सरकार की पहल आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत भारत में ही बनाया गया है। डॉ. हेमंत दरबारी ने कहा पेटास्केल/ पीटास्केल सुपरकम्यूटर को भारत में निर्मित कंपोनेंट्स की मदद से बनाने के पीछे का मूल उद्देश्य आत्मनिर्भर भारत के रास्ते पर आगे बढ़ना है। प्रो. अजीत के चतुर्वेदी ने कहा भारत में नेशनल सुपरकम्प्यूटिंग मिशन 2015 में शुरू किया गया। जिसका मूल उद्देश्य कम्प्यूट पॉवर के कमी वाले क्षेत्रों में उच्चस्तरीय अनुसंधानों का पोषण करना है।
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